—◆◆◆— 🌟स्वरांजली🌟 शब्दों की गूँज🌟 मैं बहता रहा गंगा-यमुना की गति की तरह तुम लुप्त हुए उस संगम की सरस्वती की तरह मैं अडिग रहा

—◆◆◆— 🌟स्वरांजली🌟 शब्दों की गूँज🌟 मैं बहता रहा गंगा-यमुना की गति की तरह तुम लुप्त हुए उस संगम की सरस्वती की तरह मैं अडिग रहा
—◆◆◆— 🌟स्वरांजली🌟 शब्दों की गूँज🌟 थके-हारे जज्बात को संवार देती है रात सूख गए सपनों को भी बहार देती है रात। खामोश रात का इंतजार