—◆◆◆— नहीं मिलती जगह, मेरे शब्दों को कही तो क्यों करूँ मैं मलाल..? हर किसी की सोच पर खरा उतरना मेरे दिल को, मंजूर नही,

—◆◆◆— नहीं मिलती जगह, मेरे शब्दों को कही तो क्यों करूँ मैं मलाल..? हर किसी की सोच पर खरा उतरना मेरे दिल को, मंजूर नही,
—◆◆◆— माँ तुम बिन सब अधूरा है जो तुम नहीं तो कुछ अच्छा नहीं लगता है… ज़ब मायके मै आऊँ और जो तुम ना मिलो
—◆◆◆— जात पता के नाम पर खेले खेल अनेक है कौन जाने किसके हिस्से नेक है।। मासूमों को धर्म के,नाम लड़वा कर करता अपना उल्लू
—◆◆◆— आज मुझे मौका मिला है तो, खुल कर लिखना चाहूँगी। हवस के भूखे भेड़ियों को सरेआम नंगा करना चाहूँगी.. कैसे तार-तार करते हैं यह