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🌟स्वरांजली🌟 शब्दों की गूँज🌟
गर्मी और पसीना से अब
राहत मिलने वाली है।
लगता है दो-चार दिनों में
बारिश आने वाली है।आसमा पर फिर घनघोर
घटाएं छाने वाली है।
सुखी प्यासी धरती की
प्यास बुझाने वाली है।पोखर,नदी,तालाबों से
जलधारा चलने वाली है।
सज-धज कर फिर”धरती”
अपनी”दुल्हन”बनने वाली है।
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रचनाकार [{ कवयित्री/कवि }] :- जितेंद्र✍