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ये ज़िंदगी की राह कुछ
आसान हो गई होती…
थोड़ा वो झुक गया होता
थोड़ा तुम झुक गई होती… !!ये मसले ज़िंदगी के
कयामत न बनते…
थोड़ा वो समझ गया होता
थोड़ा तुम समझ गई होती… !!जो मुद्दे अना के
न बनते छोटी बात पर…
थोड़ा वो भूल गया होता
थोड़ा तुम भूल गई होती… !!यूँ रूठने के सिलसिले
न इतने लंबे होते…
थोड़ा वो मान गया होता
थोड़ा तुम मान गई होती… !!
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रचनाकार:- काव्याक्षरा✍
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#स्वरा
BEAUTIFUL……may not be enough!
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Thanks🥀 a lot sir🥀
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My pleasure
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👌👌👌👌
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अद्भुत … 👌👌👌
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धन्यवाद सत्येंद्र जी🌷
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स्वागत है … 🙏
उत्कण्ठित रहता हूँ आपकी रचनाएँ पढ़ने के लिए …. 👌👍
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आभार श्रीमान… 🌷
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Awesome
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धन्यवाद नवनीत 🥀
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